बसंत ऋतु में खान पान केसा हो?( march or april me kesa rahe khan ?)
आचार्य सुश्रुत के अनुसार मीन और मेष राशि तथा फ़ाल्गुन मास और चैत्र मास यानि आखिरी फ़रवरी पूरा मार्च और शुरु के अप्रैल के १५ दिनो को मोटे रूप से बसंत ऋतु के नाम से जाना जाता है ।
यह ऋतु आदान काल यानि बल को घटाने वाली होतीहै ।
सर्दियों मे जमा हुआ कफ़ इस ऋतु मे सूर्य की किरणॊ के कारण पिघलने लगता है , जिसके कारण सबसे पहले अग्निमांद यानि हाजमे की खराबी होती है । अग्निमांद होने के कारण अनेक आमज व कफ़ज विकारों का इस ऋतु मे आरम्भ होता है ।
यह ऋतु आदान काल यानि बल को घटाने वाली होतीहै ।
सर्दियों मे जमा हुआ कफ़ इस ऋतु मे सूर्य की किरणॊ के कारण पिघलने लगता है , जिसके कारण सबसे पहले अग्निमांद यानि हाजमे की खराबी होती है । अग्निमांद होने के कारण अनेक आमज व कफ़ज विकारों का इस ऋतु मे आरम्भ होता है ।
उनमे से मुख्य हैं -
@ अग्निमांद --- (Digestive Problems),
@ अम्लपित्त, भुख न लगना, खाने का पाचन ठीक से ना होना, गैस बनना
@ ज्वर----- (Fever) विभिन्न ज्वर
@ श्वास-- (Asthma, Allergy etc) सर्दी , जुकाम, खांसी, नजला
@ आमवात-- शरीर के जोड़ों मे दर्द व सुजन (Joints Pain)
@ त्वचा विकार-- शीतपित्त (Urticaria), पित्ति उछलना, खुजली होना आदि
ये सभी रोग कफ़ के अधिक हो जाने के कारण होते हैं ।
यह ऋतु शरीर के शोधन के लिये बहुत ही उपयुक्त होती है । किसी उपयुक्त वैद्य की देखरेख मे वमन कर्म यानि उल्टियां करना, बहुत ही उपयुक्त होता है ।
इसके अलावा इस ऋतु मे लघु और रुक्ष आहार लाभकारी होता है जैसे की --
@ पूराने अन्न जौ,
@ पूराना चावल,
@ बजारा, मूंग,
@ कूल्थी ,
@ अरहर,
@ पालक,
@ बैंगन,
@ सहिजन ,
@ मेथी ,
@ परवर,
@ लहसून,
@ अदरख,
@ प्याज,
@ मूली ,
@ गाजर,
@ हल्दी,
@ अनारदाना,
@ पेठा,
@ बकरी का दूध,
@ कड़ी,
@ बकरे का मांस,
@ सूखी मछलियां,
@ तन्दुरी चिकन,
@ केदड़ा,
@ अदरख सिद्ध जल,
@ अजवायन, जीरा,
@ कालीमिर्च,
@ सरसों
@ इलायची और
@ शहद सदा ही सेवनीय होती हैं ।
इसके अलावा इस ऋतु मे लघु और रुक्ष आहार लाभकारी होता है जैसे की --
@ पूराने अन्न जौ,
@ पूराना चावल,
@ बजारा, मूंग,
@ कूल्थी ,
@ अरहर,
@ पालक,
@ बैंगन,
@ सहिजन ,
@ मेथी ,
@ परवर,
@ लहसून,
@ अदरख,
@ प्याज,
@ मूली ,
@ गाजर,
@ हल्दी,
@ अनारदाना,
@ पेठा,
@ बकरी का दूध,
@ कड़ी,
@ बकरे का मांस,
@ सूखी मछलियां,
@ तन्दुरी चिकन,
@ केदड़ा,
@ अदरख सिद्ध जल,
@ अजवायन, जीरा,
@ कालीमिर्च,
@ सरसों
@ इलायची और
@ शहद सदा ही सेवनीय होती हैं ।
इसके अतिरिक्त व्यायाम , उबटन, लेप, स्वेदन, नस्य , कूंजन क्रिया ( सुबह कोष्ण लवण युक्त जलAyurvedic life style in the months of March and April. बसंत ऋतु में आहार विहार l
असेवनीय -
@ नए अन्न,
@ उड़्द,
@ सुखे फ़ल मेवे आदि,
@ भैंस का दुध,
@ दही, लस्सी,
@ आईसक्रीम,
@ चीच, पनीर,
@ खोया,
@ मक्खन,
@ शीतल जल,
@ तले हुए भोज्य पदार्थ मिठाई आदि ।
दिन मे सोना और अधिक मैथुन करना भी इस ऋतु मे निन्दनीय है
@ नए अन्न,
@ उड़्द,
@ सुखे फ़ल मेवे आदि,
@ भैंस का दुध,
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@ खोया,
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दिन मे सोना और अधिक मैथुन करना भी इस ऋतु मे निन्दनीय है
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@ चवनप्राशवलेह
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Not-
किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।
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