ग्रीष्मकालीन समस्याओं का समाधान-
गर्मीयों मे अक्सर लोगो को कई समस्याओ का सामना करना पड़ता है ! जेसे पानी की कमी,उल्टी,दस्त,चक्कर आना,लू लगना आदि !
शरीर मे जब पानी की कमी होती है उससे कई अन्य बिमारियां और उत्पन्न हो जाती है ! इसलिये पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिये !
आइये जानते है ग्रिष्म ऋतु मे किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है ! और उनके क्या समाधान है !
@ लू लगने पर -
प्याज का रस शरीर पर मलें, पना पिलायें ।
@ कमजोरी होने पर -
सत्तू में घी व मिश्री अथवा आम के रस में घी व इलायची मिलाकर पीने से कमजोरी नहीं आती । रात को दूध में घी मिलाकर पीना भी लाभदायी है । साठी के चावल का भात व दूध सुपाच्य व शीघ्र शक्तिदायी आहार है ।
@ प्यास व बेचैनी होने पर -
पिसा हुआ धनिया, सौंफ व मिश्री का मिश्रण बनाकर पानी में भिगो दें और कुछ देर बाद पियें । नारियल पानी, शिकंजी, गन्ने का रस, पना, बेल के शरबत आदि से शीघ्र लाभ होता है । इनसे दाह व जलन भी शांत होती है। सॉफ्टड्रिंक्स प्यास, बेचैनी मिटाने का केवल क्षणिक एहसास दिलाते हैं । इनसे अंदरूनी गर्मी अत्यधिक बढ़ती है व अन्य कई गम्भीर दुष्परिणाम होते हैं ।
@ चक्कर आने पर -
सिर तथा चेहरे पर तुरंत ही ठंडे पानी के छींटें मारें । शीतल, तरल पदार्थ पीने के लिए दें ।
@ पेशाब में जलन होने पर -
(१) गर्मी के कारण पेशाब में जलन या रुकावट होने पर कटी ककड़ी में मिश्री का चूर्ण मिला के ऊपर नींबू निचोड़कर खायें ।
(२) ककड़ी के १५० ग्राम रस में १ नींबू का रस और जीरे का चूर्ण मिलाकर पीने से मूत्र की रुकावट दूर होती है ।
@ मंदाग्नि -
ककड़ी पर संतकृपा चूर्ण लगा के खाने से मंदाग्नि दूर होती है तथा भोजन में रुचि पैदा होती है । यह चूर्ण सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों व सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है ।
@ पेशाब की जलन व रुकावट होने पर -
एक कपड़े को ठंडे पानी में भिगोकर निचोड़ लें । फिर इसे तह करके नाभि के नीचेवाले हिस्से (पेडू) पर वस्त्र हटा के रखें । कपड़े को उलटते-पलटते रहें । कपड़ा गर्म हो जाय तो फिर से ठंडे पानी में भिगो के रखें । लेटकर १५-२० मिनट यह प्रयोग करें ।
ककड़ी, खरबूजा, नारियल पानी, नींबू की शिकंजी आदि का सेवन करें । शिकंजी में धनिया, सौंफ व जीरे का चूर्ण मिलाकर लें । यथासम्भव हर घंटे-डेढ़ घंटे में आधा या एक गिलास सामान्य ठंडा पानी पीते रहें । इससे गर्मी के कारण होनेवाली
पेशाब की जलन व रुकावट दूर हो जाती है ।
पुनर्नवा (साटोड़ी) की गोली या सब्जी खाने से अथवा उसके रस का उपयोग करने से पेशाब व गुर्दे संबंधी तकलीफों में आराम होता है । गोखरू का रस व वरुणादि क्वाथ भी उपयोग में ले सकते हैं ।
@ दस्त लगने पर -
दही के ऊपर का पानी २ चम्मच पीने से तुरंत राहत मिलती है ।
@ दाह होने पर -
दूध में गुलकंद मिलाकर पियें । आँवले का मुरब्बा, सत्तू,मक्खन-मिश्री, मिश्रीयुक्त पेठे का रस खूब लाभदायी है ।
तो ये कुछ सम्स्यायें और उनके समाधान जो ग्रिष्म ऋतु मे होते है ! इन उपायों को अपना कर इन सम्स्याओ से छुटकारा पाया जा सकता है !
Not-
किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।
त्वचा संबंधी समस्या ,बालो की समस्या,कील मुहासे,मोटापा, अन्य बिमारियों के लिये आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खो
सेक्स संबंधित समस्या,लिंग का ढीलापन,शीघ्रपतन,शूक्रानु क्षिनता आदि समस्याओ की जानकारी और उनकी अयुर्वेदिक ओशधि की जानकारी के लिये यहा क्लिक करें -
aayurvadvice.blogspot.com
aayurvaidice.blogspot.com
गर्मीयों मे अक्सर लोगो को कई समस्याओ का सामना करना पड़ता है ! जेसे पानी की कमी,उल्टी,दस्त,चक्कर आना,लू लगना आदि !
शरीर मे जब पानी की कमी होती है उससे कई अन्य बिमारियां और उत्पन्न हो जाती है ! इसलिये पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिये !
आइये जानते है ग्रिष्म ऋतु मे किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है ! और उनके क्या समाधान है !
@ लू लगने पर -
प्याज का रस शरीर पर मलें, पना पिलायें ।
@ कमजोरी होने पर -
सत्तू में घी व मिश्री अथवा आम के रस में घी व इलायची मिलाकर पीने से कमजोरी नहीं आती । रात को दूध में घी मिलाकर पीना भी लाभदायी है । साठी के चावल का भात व दूध सुपाच्य व शीघ्र शक्तिदायी आहार है ।
@ प्यास व बेचैनी होने पर -
पिसा हुआ धनिया, सौंफ व मिश्री का मिश्रण बनाकर पानी में भिगो दें और कुछ देर बाद पियें । नारियल पानी, शिकंजी, गन्ने का रस, पना, बेल के शरबत आदि से शीघ्र लाभ होता है । इनसे दाह व जलन भी शांत होती है। सॉफ्टड्रिंक्स प्यास, बेचैनी मिटाने का केवल क्षणिक एहसास दिलाते हैं । इनसे अंदरूनी गर्मी अत्यधिक बढ़ती है व अन्य कई गम्भीर दुष्परिणाम होते हैं ।
@ चक्कर आने पर -
सिर तथा चेहरे पर तुरंत ही ठंडे पानी के छींटें मारें । शीतल, तरल पदार्थ पीने के लिए दें ।
@ पेशाब में जलन होने पर -
(१) गर्मी के कारण पेशाब में जलन या रुकावट होने पर कटी ककड़ी में मिश्री का चूर्ण मिला के ऊपर नींबू निचोड़कर खायें ।
(२) ककड़ी के १५० ग्राम रस में १ नींबू का रस और जीरे का चूर्ण मिलाकर पीने से मूत्र की रुकावट दूर होती है ।
@ मंदाग्नि -
ककड़ी पर संतकृपा चूर्ण लगा के खाने से मंदाग्नि दूर होती है तथा भोजन में रुचि पैदा होती है । यह चूर्ण सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों व सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है ।
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एक कपड़े को ठंडे पानी में भिगोकर निचोड़ लें । फिर इसे तह करके नाभि के नीचेवाले हिस्से (पेडू) पर वस्त्र हटा के रखें । कपड़े को उलटते-पलटते रहें । कपड़ा गर्म हो जाय तो फिर से ठंडे पानी में भिगो के रखें । लेटकर १५-२० मिनट यह प्रयोग करें ।
ककड़ी, खरबूजा, नारियल पानी, नींबू की शिकंजी आदि का सेवन करें । शिकंजी में धनिया, सौंफ व जीरे का चूर्ण मिलाकर लें । यथासम्भव हर घंटे-डेढ़ घंटे में आधा या एक गिलास सामान्य ठंडा पानी पीते रहें । इससे गर्मी के कारण होनेवाली
पेशाब की जलन व रुकावट दूर हो जाती है ।
पुनर्नवा (साटोड़ी) की गोली या सब्जी खाने से अथवा उसके रस का उपयोग करने से पेशाब व गुर्दे संबंधी तकलीफों में आराम होता है । गोखरू का रस व वरुणादि क्वाथ भी उपयोग में ले सकते हैं ।
@ दस्त लगने पर -
दही के ऊपर का पानी २ चम्मच पीने से तुरंत राहत मिलती है ।
@ दाह होने पर -
दूध में गुलकंद मिलाकर पियें । आँवले का मुरब्बा, सत्तू,मक्खन-मिश्री, मिश्रीयुक्त पेठे का रस खूब लाभदायी है ।
तो ये कुछ सम्स्यायें और उनके समाधान जो ग्रिष्म ऋतु मे होते है ! इन उपायों को अपना कर इन सम्स्याओ से छुटकारा पाया जा सकता है !
Not-
किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।
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